राहुल दवे/इंदौर : मप्र का इंदौर केवल सफाई में ही नंबर वन नहीं है, बल्कि कई अन्य मामलों में भी इस शहर ने प्रदेश में रिकॉर्ड बनाया है. शहर की महिलाओं ने संपत्ति खरीदी में भी इंदौर को नंबर एक के स्थान पर पहुंचा दिया है. दरअसल, प्रदेश में सबसे ज्यादा इंदौर में महिलाओं के नाम से संपत्ति खरीदी गई है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में इंदौर में हुई कुल रजिस्ट्री का 38 फीसदी महिलाओं के नाम पर है. महिलाओं के नाम संपत्ति रजिस्ट्री की बात करें, तो वित्त वर्ष में 5500 करोड़ रुपए की मालकिन ये महिलाएं हो गई हैं.
एक साल में इतने दस्तावेज हुए तैयार
वित्त वर्ष 2023-24 में इंदौर जिले में रजिस्ट्री के एक लाख 75 हजार 950 दस्तावेज तैयार हुए. इससे सरकार को 2415 करोड़ का राजस्व मिला. हालांकि सरकार ने 2540 करोड़ का लक्ष्य दिया था. रजिस्ट्री में महिलाओं के नाम पर रिकॉर्ड बना. सालभर में इंदौर में 93 हजार 500 संपत्तियों की रजिस्ट्री हुई. इसमें 36 हजार 275 रजिस्ट्रियां महिलाओं के नाम है. यह कुल रजिस्ट्री का 38 प्रतिशत है. प्रदेशभर में इतनी संख्या में कहीं पर भी महिलाओं के नाम संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं हुई. इस हिसाब से इंदौर की महिलाएं 5500 करोड़ रुपए की संपत्ति की मालकिन एक वित्तीय वर्ष में बनी हैं और सरकार को 430 करोड़ का राजस्व दिया है.
मिलती है रजिस्ट्री पर इतनी छूट
मप्र सरकार ने महिलाओं के नाम पर होने वाली रजिस्ट्री पर दो प्रतिशत की छूट का प्रावधान कर रखा है. यही कारण रहा कि इंदौर में इतनी रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर हुई है. शहरी क्षेत्र में 12.5 और ग्रामीण में 9.5 रुपए की गाइडलाइन से स्टांप ड्यूटी लगती है. रजिस्ट्री में दो प्रतिशत का आंकड़ा बड़ा होता है और इससे हजारों रुपए का अंतर आ जाता है. वहीं एक कारण यह भी है कि महिलाएं सशक्त और आत्मनिर्भर हो रही हैं, क्योंकि अधिकांश संपत्ति लोन पर ली जाती है. इसके लिए बैंक कमाई का जरिया और आयकर की फाइल देखता है.
एक नजर आंकड़ों पर
इंदौर में 1.75 लाख दस्तावेज तैयार हुए हैं, जिससे 2415 करोड़ राजस्व जमा हुआ. इसमें 430 करोड़ रुपए की भागीदारी महिलाओं की भी है. देश के सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर कई साल से अपना नाम दर्ज करा रहे इंदौर के लिए इस नए रिकॉर्ड की भी खूब चर्चा हो रही है.